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Day 8 Secret diary (magic and love)

मैं ऐसे चल रहा हूं मानो कुछ हुआ ही न हो, पर मेरे मन के अंदर तूफान चल रहा है जो हर चीज नष्ट करते जा रहा है, मेरे विचारों की रफ्तार तेज कर रहा है, जिससे मैं कुछ ढंग से सोच नहीं पा रहा हूं, पर जो सोच रहा हूं वे वो विचार है जिसने तूफान को जन्म दिया है, मैं इस तूफान से बचने की कोशिश कर रहा हूं, मैं आंधियों की मार सह रहा हूं, तेज हवाएं जो मुझे रोकने की कोशिश कर रहे हैं, मैं दोबारा उसे सही करने की कोशिश कर रहा मैं वक्त के पीछे नहीं जा सकता, है उन सब के लिए मैं खुद को दोषी मानता हूं,तो कभी उसे दोषी  ठहराता हूं जिसकी वजह से मैं कुछ सीख रहा था, इस वक्त मैं बहुत दुखी हूं, और लोगों को बनावटी चेहरा दिखा रहा हूं जिसे देख कर लगता है मैं शांत हूं सच तो यह है कि मैं अकेलेपन से जूझ कर बहुत थक गया हूं, निराश हो चुका हूं, अकेलापन एक विष है जो शरीर को पूरी जड़ से हिलाने की क्षमता रखता है, मैं हमेशा दो चीजों को सीखना और पाना चाहता था,  प्यार और जादू। ये दो चीज़े मुझे पूरी तरह बदल देते थे, एक प्यार जिसे मै अब तक समझ न सका,और अभी तक इसे झेल रहा हूं,मै जितना इन दोनों चीजों के करीब आने की कोशिश करता हूं, ये दोनों ही मुझे उतनी ही दूर नजर आते हैं और कभी-कभी तो यह गायब हो जाते हैं, मैं खुद  यह देखकर हैरान हो जाता हूं इन्होंने मेरे पूरी सोच  पे कब्जा कर लिया है, इतनी बार गिरा हूं कि फिर से उठने का साहस खत्म होते जा रहा है, सोचता हूं रास्ता बदल दूं सबसे सरल और आसान रास्ता पकड़ लूं जिसमें गिरने का जोखिम तो कम रहेगा और मुझे उठाने वाले भी तो रहेंगे।
           मैं एक चीज के बारे में बार-बार सोच रहा हूं प्यार । जिसने मेरी सोच को बदला है और मुझे भी। मैं इस चीज से जितना बाहर निकलने की कोशिश करता हूं उतना ही अंदर मैं फिसलता जाता हूं,मैं खुद के सवालों के जवाब नही ढूंढ पा रहा हूं तो मैं दूसरे लोग जो मुझसे सवाल पूछते उनकी जवाब कैसे दू। इसीलिए मैं खामोश रहता हूं क्योंकि मुझे नहीं पता जो मुझे पता होना चाहिए। मैं लोगों की खुशी चेहरा देखता हूं ऐसा लगता है जैसे उनके सवालों के जवाब उनके पास है  और यह देख कर मैं और दुःखी ही जाता हूं  , क्योंकि जो चीज में सीखना चाहता था अभी तक से नहीं सीखा है जिन सवालों को मैं ढूंढना चाहता था उनके जवाब कोसों दूर है।
        न जाने कितनी रातों को मैं नहीं सोया, न जाने कितने दिनो से उस चीज को भूलने की कोशिश कर रहा हूं , कुछ लोगों ने मेरा मजाक उड़ाया तो कुछ लोगों ने मेरा ढाढ स बधाया  पर मैंने कभी उनकी बातें सुनी ही नहीं, मैं उस समय सुन रहा था अपनी आवाज जो मुझे कमजोर कर रही थी और सुनने जा रहा था उसकी आवाज, पर कभी मौका ही ना मिला, हर चीज तेजी से बदल गया, और उतनी तेजी से मैं अपने आप को बदल ना पाया, और वही हुआ जिसकी मैं आशा नहीं करता था, उस दिन मैंने सीखा कि आपके सिर्फ हां या ना कहने से  पूरी जिंदगी बदल जाती है। उस दिन मैंने यह भी सीखा की अवसर दोबारा नहीं आते पर अवसर दोबारा बनाए जा सकते हैं।
      सूरज अस्त हो रहा है हर कोई समझ जाता है कि शाम होने वाला है क्योंकि यह एक संकेत है शाम होने का। जो मेरे साथ हुआ है उन संकेतो मैं कैसे समझ नहीं पाया। ये सब होने से पहले मुझे पता क्यों नहीं चला? या फिर संकेतों को पढ़ना मेरे समझ से परे है, मैं हर संकेत नहीं पढ़ सकता, मैं केवल वही संकेत पढ़ सकता हूं जो मेरे साथ रोज होता है, पर मैंने पॉल्हो कोएल्हो की किताब (जिसका शीर्षक मुझे याद नहीं) में पढ़ा है कि हमअपने आसपास जो हो रहा है उसे देख कर हम संकेतों को पढ़ सकते हैं उसे समझ सकते हैं और जान सकते हैं कि अगले पल क्या होने जा रहा है।
            मै अपने  कदमों को वापिस लेना शुरु करता हूं, मेरे आसपास जो हो रहा है उसे नजरअंदाज करके आगे बढ़ता हूं, क्योंकि मैं परेशान हूं कि इन पर मैं ध्यान नहीं दे पा रहा हूं, और न हीं मैं उन्हें देख कर कुछ समझ पाऊंगा,बस मैं अंधेरे का आभास कर सकता हूं मैं तारों को देख सकता हूं पर अब मैं और देखना नहीं चाहता कि यह मेरे सवालों की संख्या बढ़ा देते हैं और उनका जवाब तो कभी मिलता ही नहीं। जो मैं पाना चाहता हूं वो हमेशा मुझसे दूर हो जाता है। देर रात तक बिस्तर में पड़ा रहता हूं,और खुद को किसी सोच में खोया पाता हूं।सुबह उठता हूं और फिर से वही काम करने लगता हूं जो कल मैंने किए थे।
         मै खुद से  बार-बार कह रहा हूं जो हो रहा है उसे मुझे ध्यान देने की जरुरत है, कुछ चीजें मुझे समझने की जरूरत है।
         मैं अचानक रास्ते में किसी को देखता हूं और उसकी आंखें पढ़ने की कोशिश करता हूं और शायद वह भी मेरे आंखों को पढ़ने की कोशिश करती है,हम दोनों आंखों को देखकर कुछ तो समझते हैं फिर बिना कुछ कहे एक दूसरे से दूर हो जाते हैं,मैं उसकी आंखों को देखकर यह सोच रहा था कि वह क्या सोच रही है शायद वह मेरी आंखों को  देखकर यह सोच रही थी कि मैं क्या सोच रहा हूं।
         फिर कुछ देर बाद हम दोनों भूल जाते हैं कि हम क्या सोच रहे थे।
        मैं खुद को उस वक्त रोकने की कोशिश कर रहा था, मैं आंखों की उस दुनिया में प्रवेश कर रहा था जहां कई जादू छिपे होते हैं, आँखें हमें वह चीज दिखा रही थी जो हम नहीं सीखे थे।आंखें जो हमारी कहानियों को छुपा कर रखता है और तब तक इसे नहीं बताता जब तक कि कोई इसे पढ़ ना लेता , या फिर खुद इसे जाहिर ना करता।मैं खामोश चलता है जा रहा हूं तभी रास्ते में मेरा दोस्त मिलता हैवह मुझसे कुछ सवाल  करता है और मैं उसके जवाब देता हूं पर मैं उससे एक भी सवाल नहीं पूछता हूं,थोड़ी देर बाद वह मुझसे एक दो सवाल  और करता है फिर से मैं उसके सवालों का जवाब देता हूं, वो उकता चुका है मेरे जवाबों से या फिर मेरे ना पूछे गए सवालों से।

        फिर हम कुछ दूर जाकर अलग हो जाते हैं, मैं देखता हूं वह जा रहा है कुछ जवाब के साथ। मैं फिर अपनी राह पकड़ लेता हूं, मेरे आस-पास की चीजें जो मुझे हर रोज वही दिखाती है। आसिफ जिसे बहुत कम जानकारी थी लोगों के बारे में,लोगों के साथ हुए घटनाओं से क्योंकि वह खुद अपने में इतना उलझा हुआ था कि उसे दूसरों के बारे में सोचने का वक्त ही नहीं था या फिर उसे उन लोगों में कोई दिलचस्पी नहीं थी। शायद आज मुझे कुछ संकेत मिला था, अपनी रफ्तार कम करने का, मैं तेज गति से चला जा रहा था, मैंने देखा कि मेरी जिंदगी कुछ ही सेकंड में सीमित हो गई है, मैंने शुक्र की सांस ली जब मैंने खुद को बचा लिया, मैं अपनी चलने की रफ्तार धीमी कर लेता हूं, और देखता हूं कि एक आदमी तेजी से चला जा रहा है फिर अचानक एक पेड़ जो पूरी तरह सूख चुका है गिर जाता है वह व्यक्ति जो तेज गति से जा रहा था गिरता हुआ पेड़ देखता है पर संभल नहीं पाता है, दूर जा गिरता है मैं इसे थोड़ी दूर से इसे अचानक देखा और मैं घबरा गया था, फिर मैंने पास जाकर देखा उसे कुछ चोट लगी थी और वह खुद उठ गया और मैं उसका बिखरा सामान उठाने लगा, थोड़ी देर बाद कुछ और लोग आ गए मैं वहां से चलने लगा, और सोच नहीं लगा जिंदगी के बारे में। अगर मौत हो जाती तो हर चीज नष्ट हो जाता, उसके अनुभव और अब तक से सीखा चीज। कल का सवेरा देख सकता है, हर चीज कर सकता है जो उसने करना चाहा है फिर वह आजाद है हर चीज करने को, मैं अब कर सकता हूं जो करना चाहा है पर मैं करता नहीं था, मैं गलतियां करने को आजाद था, मैं सही और गलत नहीं सोच रहा था मैं हर चीज को बस कर देना चाहता था जो मेरे मन कहता था चाहे परिणाम कुछ भी हो। क्योंकि एक दिन मैं नष्ट हो जाऊंगा और ना किए गए काम पर पछतावा करूंगा, इससे तो अच्छा है कि मैं अपने मन की बात सु नू जो मेरा मन कहता है, ताकि मैं अपने अंतिम संस्कार के दिन बिना पछतावा के सो सकूं, क्या आपने कभी अपने अंतिम संस्कार के बारे में सोचा है कि वह दिन कैसा होगा जिस दिन आप बिस्तर पर अपने इतिहास को देख रहे होंगे। मैं भी सोच रहा था जिस दिन मैं मरूं वो दिन किस तरह का होगा, चाहे ये सवाल हमें कितना ही बेवकूफी भरा क्यों ना लगे हमें यह सवाल खुद से जरूर कुछ ना चाहिए। मैं आज के दिन का पूरी तरह आनंद लेता हूं, क्योंकि मैंने अपनी मौत को बहुत करीब से देखा है।
             मैं आंखें पढ़ना तो नहीं जानता, पर मैं नजरें मिलाना सीख गया हूं और इस खेल में मुझे मजा आने लगा है थोड़ी देर के लिए ही सही मैं सब कुछ भूल जाता हूं और नजरों की दुनिया में खो जाता हूं जहां सब कुछ दृश्य हैं कुछ देर बाद मुझे इधर-उधर की चीजें नजर आती है और मैं फिर अपनी दृश्य दुनिया में वापस लौट आता हूं।
       मैं आगे बढ़ता हूं मेरे अंदर हो रहे हैं हलचल को पढ़ने की कोशिश करता हूं, मैं लगातार अपने आप से जूझता हूं, मैं कई सालों से हूं और कई साल बिताए हैं फिर भी मुझे लगता है कि मैंने कोई महत्वपूर्ण चीज नहीं सीखा है, जो चीज सिखा है मुझे नहीं लगता कि उनका कोई महत्व है मुझे लगता है कि जिन चीजों का महत्व है उनको मैंने नहीं सीखा है, मैं खुद को अकेला महसूस करता हूं जब मैं ऐसी जगह घूमता हूं जहां मैं किसी को नहीं जानता मुझे कोई पहचानता है तब अकेलापन मुझे घेर लेता है, मुझे महसूस होता है कि मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं है। मैं लोगों को आते और जाते देखता हूं, उन्हें बातें करते हुए देखता हूं शायद वो दुनिया के बहुत ही दिलचस्प बात कर रहे हो, जितना जल्दी हो सके मैं वहां से भाग जाना चाहता हूं, मैं वहीं खड़े रहता हूं, धीरे धीरे मैं महसूस करता हूं कि मैं खुद से बातें कर रहा हूं, ऐसा लगता है जैसे मैं अंतहीन रास्ते पर चला जा रहा हूं, पहाड़ो नदियों झरनों को पार करता हुआ जो मुझसे कभी नहीं पूछती कि तुम कहां जा रहे हो बस वह मुझे जाने देती है।
        मैं उस जगह से बाहर निकलने की कोशिश करता हूं, और फिर आगे बढ़ने लगता हूं, मैं उन पहाड़ियों को देखता हूं जिन पर मैं चढ़ना चाहता था पर कभी नहीं चढ़ा था मैं देखता हूं वह पहाड़ी दिखती वीरान की तरह है फिर भी वहां जीवन है, मैं उनमें से एक पर चढ़ने लगता हूं, रास्ते पथरीले हैं, जगह पूरी तरह शांत है, सिवाय कुछ जीव जंतु की आवाज सुनाई दे रहे हैं, पक्षियों की आवाज फिर डर भी है सांप बिच्छू के। इन सब के बावजूद मैं अपने आपको रास्ते में बनाए रखता हूं, कुछ पेड़ इतने ऊंचे हैं कि जिसे देखने के लिए मुझे अपनी आंखें ऊपर आसमान की टिकाए रखना पड़ता है पत्तियों सुख कर नीचे गिरी है, 1 घंटे के अंदर में पहाड़ के ऊपर पहुंच जाता हूं, और वहां से मुझे हर चीज छोटी नजर आती है, मैं खुले आकाश को इतनी ऊंचाई से पहली बार देखता हूं, मैं कुछ देर वहीं रहता हूं और जो हो रहा है उसे महसूस करता हूं, फिर मैं नीचे आने लगता हूं देखता हूं लौटते वक्त बहुत सी चीजें लौटने लगी है, मैं पक्षियों की चहचाहने की आवाज सुनता हूं, नीचे पहुंच जाता हूं और देखता हूं जो कुछ समय पहले मुझे छोटी नजर आ रही थी वह अब बड़ी नजर आ रही है सोचता हूं दुनिया बहुत बड़ी है और हम छोटी सी जगह में रहते हैं, और इस छोटी सी जगह में हम बहुत कुछ सोचते हैं इस छोटी सी दुनिया में हम अपनी एक छोटी सी दुनिया बनाते हैं और उसमें जीने की कोशिश करते हैं जब इस छोटी सी दुनिया में उथल-पुथल होता है तो हम डर जाते हैं, और इस छोटी सी दुनिया का नष्ट होने का खतरा बना रहता है, जो हमारी कभी थी ही नहीं। हम  नीरस और बेकार होने लगते हैं, और तब हम एक ऐसी चीज की तलाश में जाते हैं जो हमारी थी जिसे हम भूल गए थे या उस चीज से हम अनजान थे या फिर न जानने की कोशिश में लगे थे। जब हम उस चीज को पानी लगते हैं तो हमें पता चलता है कि हम इसी चीज के लिए थे, जिसे पाने के लिए हमने इतना लंबा रास्ता तय किया है, कितनी बार खोया और कितनी बार जागा हैं।
           मैं अकेला चला जा रहा हूं , मुझे पता चलता है कि मैं रास्ता भटक गया हूं और कई घंटों तक रास्तों में उलझा रहता हूं एक नए रास्ते से जाता हूं तो दूसरे नए रास्ते आ जाते हैं कई बार मैं कई रास्ते बदलता हूं हर रास्ता मेरे लिए नया होता है कई बार मै उलझन में पड़ जाता हूं ,कई लोगों से रास्ता पूछता हूं, कई गांव से गुजरता हूं ,गांव के नाम थोड़े अजीब है जिसकी वजह से मैं नामों को भूल जाता हूं नए जगह का आनंद लेता हूं , और रास्ता ना ढूंढ पाने का डर भी लगता है ,कई कोशिशों के बाद आखिरकार रास्ता मिल जाता है और उस रास्ते पर मैं बिना डर के चलने लगता हूं।
          आज मैं खुले आसमान के नीचे सोता हूं आधी रात को उठ जाता हूं और नींद ना आने की वजह से मैं आसमान के तारों को देखता रहता हूं, एक ही चीज जो मुझे अहसास कराती है कि मैं तुम्हारे साथ हूं क्योंकि यही तो एक चीज है जो किसी की समझ नहीं आती, मैं कुछ देर तक अच्छा महसूस करता हूं फिर 3 घंटे और सोता हूं, सुबह उठता हूं और प्यार के बारे में सोचता हूं, उसे जानने की कोशिश में लगाए वो  पल याद करता हूं एक खतरनाक वस्तु जिसे कभी समझ नहीं पाया हूं ।
         मैं रास्ते पर चला जा रहा हूं अकेलेपन से जूझता हुआ, कुछ सोचता हुआ जो हर आदमी औरत सोचता है जब उसे अकेलेपन का एहसास होता है।
            दुनिया पहले से ही ऐसी है ?क्या इसी तरह हम जिंदगी जीते आ रहे हैं?
           मैं उस चीज को देखने की तलाश करता हूं जिस चीज को देखने से मुझे खुशी मिलती है जब मैं भीड़ में होता हूं तब भी मैं अकेला महसूस करता हूं ना जाने क्यों मुझे आज तक यह समझ नहीं आया मैं पिछले 2 साल से प्यार को समझने और जानने की कोशिश कर रहा हूं और इन 2 सालों में मेरी जिंदगी बदतर हो गई है मुझे लग रहा है जैसे मैं खुद मेरे लिए मौत की जाल बुन रहा हूं, अगर ऐसा ही रहा तो धीरे-धीरे में मौत के करीब पहुंच जाऊंगा और मेरे अंत बहुत ही दुखद होगा ।मौत के आने से पहले मुझे यहां से बाहर निकलना होगा मुझे सोचना होगा मुझे कुछ करना होगा ताकि खुद को बदल सकू कि ताकि मैं फिर से अपने प्यार की तलाश शुरू कर सकूं मैं हर चीज भूल जाऊं जो मैंने सीखा है फिर मैं एक बच्चा बन सकूं और खुद को एक नए सिरे से जीना शुरु करूं ,मैं अपने सपने को देखने सुनने और समझने में लगा रहता हूं क्योंकि मुझे लगता है यही एक चीज है जो मुझे यहां से बाहर निकलेगी मुझे बदल देगी ।
       जिसे मैं अपना समझता था वह मेरा कभी था ही नहीं, मैंने अपना बहुत सा वक्त उस पर बिताया है जिसे मैं कभी समझा ही नहीं ।मैंने बहुत से काम किए जिनका कोई मतलब नहीं ,मैंने खुद से कई  सवाल किए जिनका जवाब मुझे मिला ही नहीं ।जिसके करीब होने से मुझे खुशी मिलती थी मैं जब उसी को अपने करीब पाता हूं तो मैं दुखी हो जाता हूं, मुझे लगता है कि मुझे खुद पर समय देना होगा ताकि जो हो रहा है उसे समझ सकूं।

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