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Showing posts from January, 2019

Day 7 (The Right and Wrong Direction)

हम छोटी- छोटी खुशियां मनाते हैं और इससे हम अपनी दुनिया बनाते हैं, क्या सदियों से दुनिया ऐसी चलती आ रही है?कभी- कभी हम किसी चीज से डर कर अपना रास्ता मोड़ लेते हैं हमें पता ही नहीं होता कि वह रास्ता कहां जाएगा, हम आगे जाते रहते हैं और हम वह चीज ढूंढ लेते हैं जो चीज हमने पहले कभी नहीं ढूंढा था ऐसा मेरे साथ भी हुआ, मैंने वो चीज देखा  जो मैंने पहले कभी नहीं देखा था,मैंने कुछ सवाल लोगों से पूछा जो मेरे मन में चल रहा था और जवाब मेरे सामने हाजिर था। हमें थोड़ा सा साहस करके पूछना भर होता है और जवाब भी मिल जाता है, जवाब देने वालों की आंखों में कुछ देर के लिए चमक आ जाती है, क्योंकि उन्हें लगता है कि जो चीज उन्होंने सीखा है वह किसी काम के नहीं, वैसे भी मैं बोर हो रहे होते हैं क्योंकि उनके पास करने को कुछ और नहीं होता।                  मैं सोचता हूं रास्ता काफी लंबा हो, ऐसे लोगों से मिलूं जिनके बारे में मैं हमेशा सोचता था (पर ऐसा कभी होता नहीं था) वह काम करूं जिसे करने की मेरी हमेशा से चाहत रहती थी (पर कभी कर नहीं पाता था) मेरे साथ कोई रहे (जिस पर मैं भरोसा करता हूं) जिससे मैं सवाल कर सकूं और हो

Day 6 (Remembering Childhood)

वो उठकर बाहर गया और उगते सूरज को देखता रहा फिर वहां से चलना शुरू कर दिया। रोज की तरह उसने चीजों को देखा।वह सोचता है काफी दिन बीत चुके हैं वही रास्ते है, वही पेड़ पौधे, मैं उनसे बातें नहीं कर सकता।मै उन्हें देख सकता हूं कई समय से यह वही के वही खड़े हैं ,बिना कुछ कहे। ये मेरे साथ हमेशा से हैं अकेलेपन में भी और मुसीबतों के दौर में भी। मेरी आंखें उन दिनों को याद कर रहा था जब मैं पढ़ाई करता था। मेरा नाम आसिफ़ था आसिफ़ ने कुछ लोगों की आंखों में चमक देखी। उसने उन व्यक्तियों को पहली बार देखा था। उसका  मन उसे कुछ कह रहा था।उसने आकर्षण को महसूस किया। शायद यह वही चीज थी जो कई सालों से लगातार चलती आ रही है। लोगों की समझ से बाहर, पर यह उसे एक नई चीज सिखा रही थी।उसे कुछ चंद सेकेंड के लिए आनंद का आभास हुआ ।उसने देखा कि कुछ लोग समय को रोकना चाहते थे और वो उस पल में ही रहना चाहते थे पर समय हर रोज की तरह चला जा रहा था  आसिफ़ कोने में खड़ा सोच रहा था,उसका मस्तिष्क  प्रश्नों से भरा था फिर भी वह कुछ देर के लिए ठहर सा गया। वह सोच रहा था कि कैसे वह कुछ लोगों के चेहरे देखकर ही उसे कुछ आभास होने लगा था। वह सो

Day 5 (mysterious dream)

      वह पहाड़ों से सीधे ऊपर की तरफ जा रहा था।जब वह ऊपर पहुंचा तो उसने सोचा कि कुछ देर ठहरा जाए।वह एक छोटे से चट्टान पर बैठ गया और नीचे की ओर देखने लगा। पेड़ पोधों को देखता रहा, हवाओं को महसूस किया। पक्षियां आसमान में उड़ रहे थे जिन्हें किसी चीज का डर न था।अब डूबते सूरज को कुछ देर तक देखता रहा फिर वह वहां से नीचे आने लगा। अब  उसने अपनी राह पकड़ी और गांव की ओर चल दिया। जब वह सोया और जब वह उठा तो इसके बीच उसने एक ऐसी दुनिया देखा या फिर वह एक ऐसी दुनिया में था जहां से वह वापस नहीं आना चाहता था। कुछ देर सोचता है काश मैं हमेशा के लिए उसी दुनिया में रहता। वह दुनिया जिसे हर कोई देखता है और उठते ही उसे वह दुनिया नष्ट होने का आभास होता है ।वह दो तरह की दुनिया में जीता है एक दृश्य और दूसरा अदृश्य ।जो वह उठता है तो दूसरी दुनिया को भूल जाता है।एक रात जब मैं सो रहा था।तब मैंने खुद को अनजान कमरे में पाया।मेरे साथ पांच लोग और थे।जिसमें से एक मेरा दोस्त था।मै और मेरा दोस्त उस कमरे में पहली बार आए थे।हम सभी एकसाथ फर्श पर बैठे थे।हम एक नई चीज सीख रहे थे।जो वाकई बहुत पुरानी थी।सभी आंख खोले हुए थे।मै और

Day 4 ( Finding reason)

आखिर क्यों कुछ लोग मरने का निर्णय लेते हैं तो कुछ लोग जिंदा रहने का। क्या हम अकेले हैं या फिर हमारे साथ कोई है जो हमारी मदद करता है जिनके बारे में हम नहीं जानते ।              मैं जिंदा हूं इसके लिए मैं कृतज्ञ हूं। हर वह चीज जिसे मैंने देखा है , हर वो रास्ता जिस पर मैंने चला है। हर वो आदमी जो कुछ कहता है ।मैं सिर्फ रास्ता चुन सकता था ।और मैंने जिंदा रहने का रास्ता चुना ।मेरे लिए वर्तमान ही काफी था।             हर चीज के होने का एक वजह है पेड़ों से पत्तियां गिर जाती है और उसी पेड़ पर पत्तियां उग जाती है। गिरी हुई पत्तियों का भी वजह है और उगने वाली पत्तियों का भी एक वजह है।                अकेलापन उस चीज के बारे में सोचने पर मजबूर कर देता है जिस चीज के बारे में पहले कभी न सोचा था ।हर दिन एक जैसा नहीं होता है फिर भी हम एक जैसा महसूस करते हैं ।               वह व्यक्ति बादलों को देखता है फिर पक्षियों को। अचानक मौसम बदलता है फिर बादलों से पानी गिरने लगते हैं। पक्षियों अब भी आसमान में उड़ रहे थे । उसने देखा कि पक्षियों ने अपनी उड़ने की गति बढ़ा ली थी। अब वे तेजी से उड़ रहे थे ।  पंछिया क

Day 3 (Storyteller)

मैं जितने लोगों से मिला हूं उनके पास कहने के लिए कुछ था मैं लोगों की बातें सुनता हूं और कुछ लोगों को काम करते देखता हूं। ताकि मैं कुछ समझ सकूं। या फिर यूं कहे कि मैं मुफ्त की चीजें देखने का आदी हूं। रास्ते में कभी कुछ लोग मिल जाते हैं तो कभी यूं ही अकेला खामोश पैदल चलता रहता हूं ।मैं आसपास की चीजों व हलचल को समझने की कोशिश करता हूं ।ठीक उसी तरह जिस तरह अनजान व्यक्ति अनजान जगह पर करता है। कभी-कभी तो मैं खुद समझ नहीं पाता कि मैं यहां क्यों हूं। कभी-कभी सोचता हूं कि मेरे साथ चमत्कार क्यों नहीं होता या फिर मेरे साथ चमत्कार होते हुए भी मैं उसे नहीं देख पाता हूं। मैं क्यों अकेला हूं खुद के सवालों का जवाब पाने के लिए ।आखिर क्यों कुछ लोग दिल को छू जाते हैं तो कुछ लोग नहीं।               इतना अंतर क्यों है। क्या चीज मुझे एक चीज को चुनना सिखाती है और दूसरे को नहीं ।                कभी-कभी मैं सोचता हूं कि मैं एक ऐसी जिंदगी जी रहा हूं जिसका कोई मतलब नहीं। वही हवाओं के झोंके ,वही आसमान ,वही मौसम ,वही जगह और वही मैं।  सुबह उठते ही काम में जुट जाना और रात होने के बाद सो जाना ।इसका क्या मतलब हुआ ह

Day 2 ( Observing)

जब कोई किसी का इंतजार करता है तो कुछ लोग अपनी निगाहें जमीन में गड़ाय रखते हैं तो कुछ लोग आसपास से गुजरने वालों को देखते है।मुझे नहीं मालूम की आखिर मै ऐसा क्यों करता हूं ये उस हवा के झोंके जैसा है जिस से पौधे कुछ अंश तक झुक जाते हैंऔर हवा के गुजरने के बाद फिर अपनी जगह पर आ जाते हैं।               रास्ते में चलते हुए उसे खंभा नजर आता है जिस का ऊपरी हिस्सा किसी चीज से सटा हुआ था। खंभा सिलेंडर के आकार में था। खंभे के आधे भाग में सूर्य का प्रकाश था और ठीक आधे भाग में छांव था। प्रकाश और छांव के मेल से खंभे पर दो लकीर बन रही थी ।और उसकी एक लकीर पर चीटियां खंभे के ऊपर  चढ़ रही थी ।और कुछ चीटियां नीचे उतर रही थी ।ऊपर जाने वाले चीटियों की संख्या ज्यादा थी जबकि नीचे उतरने वाले चीटियों की संख्या कम। उन चीटियों के आधे भाग में प्रकाश था और आधे भाग में छांव।                     एक जगह मैंने देखा कि कुछ लोग अंदर जा रहे थे और कुछ लोग बाहर निकल रहे थे। मैं कुछ देर तक वहीं खड़ा रहा मैंने रास्ते में जाते हुए एक आदमी से पूछा वहां क्या हो रहा है जिसमें कुछ लोग अंदर जाते हैं और कुछ बाहर निकलते हैं ।उस आदम

Day 1 (Walking)

वह पहाड़ों के नजदीक जाने लगा। एक पेड़ के नीचे जाकर रुका और अपनी नजरें पहाड़ों की चोटियों पर गड़ाई। पहाड़ों के किनारे बसे गांव को देखता है। पत्थर तोड़ते मजदूरों को देखता है। रास्ता जिन्हें मजदूरों ने बनाई है अपनी हाथों की परवाह किए बगैर। वो सड़क जो किसी दूसरे सड़क से जुड़ती है और अपना काम पूरा करती है। न जाने कितने लोगों को उसने वहां पहुंचाया जहां वे पहुंचना चाहते थे। उसका नाम जो सिर्फ वही जानता था क्योंकि उसे जानने वाले अब जिंदा न थे। नियम जो प्रकृति ने बनाए है नियम जिसे तोड़ा नहीं जा सकता । प्रकृति जो अपने नियमों को पूरा करती है।                      बुढ़ापा कुछ लोगों के लिए वो समय जो अपने परिवार के साथ बिताना। वो बुढ़ापा जो गति कम कर देती है। वो बुढापा जिसका अहसास बचपन में नहीं किया जा सकता। कुछ के लिए अपने सपनों को पूरा करना हो सकता है तो कुछ के लिए आराम। वो बुढापा जिसमें किसी ने सहारा ना दिया।                             पहाड़ के किनारे बने सड़कों में चलते हुए पेड़ों को देखता है ।कुछ की पत्तियां गिर चुकी है तो कुछ की नई पत्तियां उग रही है ।जमीन में गिरी सूखी पत्तियोंकी मदद से कु