हां
आसिफ़ को हमेशा से ही सितारों की ओर आकर्षित किया जाता था। बचपन से ही वह अपने परिवार के साधारण घर की छत पर लेटकर रात के आसमान के विशाल विस्तार को निहारता रहता था। सितारे उसे रहस्य बताते प्रतीत होते थे, उनकी टिमटिमाती रोशनी शून्य से पुकारती दूर की आवाज़ों की तरह होती थी। लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया, उसके मन में जो सवाल कभी आश्चर्य से भरे रहते थे, वे उसके दिल पर भारी पड़ने लगे। *जीवन का अर्थ क्या है? हम यहाँ क्यों हैं?* सितारे, जो कभी सुकून का स्रोत थे, अब एक पहेली की तरह लग रहे थे, जिसे सुलझाने के लिए वह बेताब था। एक ठंडी शरद ऋतु की शाम, आसिफ़ अपने गाँव के पीछे की पहाड़ी पर चढ़ गया, एक ऐसी जगह जहाँ आधुनिक दुनिया का प्रकाश प्रदूषण नहीं पहुँच सकता था। उसके ऊपर आकाशगंगा फैली हुई थी, अंधेरे को चीरती हुई रोशनी की एक नदी। वह अपने साथ एक घिसी-पिटी नोटबुक ले गया था, जिसके पन्ने नक्षत्रों के रेखाचित्रों, दार्शनिक चिंतन और कविता के अंशों से भरे थे। वह एक सपाट चट्टान पर बैठा था, ठंडी हवा में उसकी साँस दिखाई दे रही थी, और ऊपर की ओर देख रहा था। “तुम मुझे क्या बताने की कोशिश कर रहे हो?” उसने ...
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