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Day 3 (Storyteller)

मैं जितने लोगों से मिला हूं उनके पास कहने के लिए कुछ था मैं लोगों की बातें सुनता हूं और कुछ लोगों को काम करते देखता हूं। ताकि मैं कुछ समझ सकूं। या फिर यूं कहे कि मैं मुफ्त की चीजें देखने का आदी हूं। रास्ते में कभी कुछ लोग मिल जाते हैं तो कभी यूं ही अकेला खामोश पैदल चलता रहता हूं ।मैं आसपास की चीजों व हलचल को समझने की कोशिश करता हूं ।ठीक उसी तरह जिस तरह अनजान व्यक्ति अनजान जगह पर करता है। कभी-कभी तो मैं खुद समझ नहीं पाता कि मैं यहां क्यों हूं। कभी-कभी सोचता हूं कि मेरे साथ चमत्कार क्यों नहीं होता या फिर मेरे साथ चमत्कार होते हुए भी मैं उसे नहीं देख पाता हूं। मैं क्यों अकेला हूं खुद के सवालों का जवाब पाने के लिए ।आखिर क्यों कुछ लोग दिल को छू जाते हैं तो कुछ लोग नहीं।
              इतना अंतर क्यों है। क्या चीज मुझे एक चीज को चुनना सिखाती है और दूसरे को नहीं ।
               कभी-कभी मैं सोचता हूं कि मैं एक ऐसी जिंदगी जी रहा हूं जिसका कोई मतलब नहीं। वही हवाओं के झोंके ,वही आसमान ,वही मौसम ,वही जगह और वही मैं।  सुबह उठते ही काम में जुट जाना और रात होने के बाद सो जाना ।इसका क्या मतलब हुआ है या फिर हर चीज बदलती रहती है और उसे मैं देख नहीं पाता । मुझे नहीं मालूम कि जिस रास्ते पर मैं जा रहा हूं वहां क्या होगा। फिर भी मैं उस रास्ते पर जा रहा हूं । मैं एक ही रास्ते पर कई बार चला हूं और हर बार उस रास्ते का माहौल अलग होता है।
                मैंने कुछ समय अकेलेपन में बिताया । फिर मैंने लोगों को काम पर जाते देखा मैं उनके चेहरे देखता और उनके विचारों को पढ़ने की कोशिश करता । मैं इस छोटे से मस्तिष्क से पूरी दुनिया को समझने की कोशिश करता।  रास्ते में जाते हुए मुझे कुछ लोग बातें करते नजर आ जाते हैं और उनकी बातें भी सुनाई दे जाती है तभी सोचता हूं इन बातों का मेरे लिए कोई मतलब नहीं । रास्ते में जाते हुए उस बुज़ुर्ग को एक आदमी मिलता है । दोनों एक ही रास्ते में एक ही ओर जा रहे थे ।वे एक-दूसरे से बात  करना चाहते थे पर वे दोनों खामोश ही राह पर जा रहे थे । तभी एक बुजुर्ग इस चुप्पी को तोड़ने की कोशिश की और कहा - चलो मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं ।
             एक टापू था। बहुत साल पहले वहां एक राजा रहता था । उस टापू के युवक वर्ग दिन में मछलियां पकड़ने जाते थे और बुजुर्ग शांत और खामोश ।
         कभी -कभी वे अपने लोगों को बताया करते थे कि कैसे वे मछली पकड़ने के लिए एक नाव  तैयार करते थे ।वे समंदर में जाते और कैसे पानी में जाल फेंकते।  हर दिन कोई ना कोई मछली फसती थी। हर दिन की तरह हम रोज मछली पकड़ने जाते और शाम को समुद्र के किनारे बैठकर डूबते सूरज को देखते ।
           उस टापू के राजा का एक दोस्त था । पर उसका दोस्त एक राजा ना था। कभी -कभी वे मिलते और बातें करते ।उसका दोस्त एक मछुआरा था लेकिन अब वह बुजुर्ग हो गया था। ठंड के दिनों में राजा अपने महल से बाहर निकलकर अपने दोस्त के साथ लकड़ी जला कर आग सेंकता था ।दोनों मिलकर उस चीज की बातें करते थे जिसे वे दोनों नहीं जानते थे। वे दोनों समुद्र के उस पार के बारे में बातें करते। आसमान में चमकते तारों को कुछ देर तक देखते फिर खामोश एक दूसरे के चेहरे को देखते जैसे कुछ अनसुलझे सवाल    जिन्हें जानना उनके लिए जरूरी था ।फिर कुछ देर के लिए उनकी आंखें टापू का दृश्य नजर आ जाता,वो टापू के किनारे वाला पेड़ जिनके  सहारे वे अपना नाव बांधते थे,वो जाल,वो मछलियां जिसने उनका पेट भरा। अपना मानते थे उनका पेट भरा ।वो दृश्य जिन्हें वो रोज देखते थे।वे सवाल जिनके जवाब वो कभी नहीं पाते थे। सबकुछ थोड़ी देर के लिए अटपटा सा लगता। वे दोनों दृश्य और अदृश्य दुनिया के बारे में बातें करते पर हर बार वे खामोश हो जाते।
              बुज़ुर्ग उस आदमी से कहता है मैं थक चुका हूं पर  मेरे सपने आज भी वही है जो बचपन में था। मैंने कभी कुछ नहीं पाया सिवायअनुभव के ।और यही अनुभव मेरे जीवन जीने में मदद करता है मुझे सोचने पर मजबुर करता है फिर भी मैं अपने आप को एक अनुभवहीन मानता हूं, लोगों की आंखें देख कर लगता है कि वे किसी चीज की तलाश कर रहे हैं ।वे जल्दी में हैं उनके पास वक्त कम है ।शायद वो जिंदगी भर किसी चीज का पीछा करते हैं और यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि उनके पास वक्त कम है । रास्तों में लोगों को अनदेखा करते हैं कुछ ऐसी बातें करते हैं जिनको सुनकर लगता है कि उनका कोई मतलब नहीं है। बुजुर्ग की बातें सुनकर वह आदमी कुछ सोचने लगा और फिर उस आदमी ने उस बुजुर्ग व्यक्ति का धन्यवाद किया फिर दोनों अलग-अलग रास्तों की ओर मुड़ गए।

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