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Day 6 (Remembering Childhood)

वो उठकर बाहर गया और उगते सूरज को देखता रहा फिर वहां से चलना शुरू कर दिया। रोज की तरह उसने चीजों को देखा।वह सोचता है काफी दिन बीत चुके हैं वही रास्ते है, वही पेड़ पौधे, मैं उनसे बातें नहीं कर सकता।मै उन्हें देख सकता हूं कई समय से यह वही के वही खड़े हैं ,बिना कुछ कहे। ये मेरे साथ हमेशा से हैं अकेलेपन में भी और मुसीबतों के दौर में भी। मेरी आंखें उन दिनों को याद कर रहा था जब मैं पढ़ाई करता था। मेरा नाम आसिफ़ था आसिफ़ ने कुछ लोगों की आंखों में चमक देखी। उसने उन व्यक्तियों को पहली बार देखा था। उसका  मन उसे कुछ कह रहा था।उसने आकर्षण को महसूस किया। शायद यह वही चीज थी जो कई सालों से लगातार चलती आ रही है। लोगों की समझ से बाहर, पर यह उसे एक नई चीज सिखा रही थी।उसे कुछ चंद सेकेंड के लिए आनंद का आभास हुआ ।उसने देखा कि कुछ लोग समय को रोकना चाहते थे और वो उस पल में ही रहना चाहते थे पर समय हर रोज की तरह चला जा रहा था  आसिफ़ कोने में खड़ा सोच रहा था,उसका मस्तिष्क  प्रश्नों से भरा था फिर भी वह कुछ देर के लिए ठहर सा गया। वह सोच रहा था कि कैसे वह कुछ लोगों के चेहरे देखकर ही उसे कुछ आभास होने लगा था। वह सोच रहा था कि वह उन्हें  फिर नहीं मिलेगा। एक अजनबी जिसे वह नहीं जानता और न ही पहले कभी देखा था उसने उसके मन को कुछ देर के लिए आनंद का आभास कराया,अजनबी को शायद यह मालूम ना हो कि उसकी वजह से वातावरण में कुछ चमक आ गई, कुछ देर के लिए उन दोनों ने अपनी नजरें ही मिलाई थी, पर उनमें से एक यह नहीं जानता था कि सामने वाला क्या महसूस कर रहा है पर वे दोनों कुछ ना कुछ तो सोच रहे थे। वह आंखों को देखता है और उसे समझने की कोशिश करता है। हर कोई मुक्त है ' कोई भी चीज सोचने का ' । क्योंकि उस वक्त कोई दूसरा नहीं जानता कि हम क्या सोच रहे हैं लेकिन हम हमेशा यह जानने की कोशिश करते हैं कि सामने वाला क्या सोच रहा है क्योंकि हम हर चीज को समझना चाहते हैं पर कुछ चीजें हैं जिन्हें हम नहीं समझ सकते। वे हमेशा से काम करते हैं, कई सालों से उनके नियम बदले नहीं हैं।
            कुछ चीजों को उन्हीं के रास्ते छोड़ दो क्योंकि हम उन्हें बदल नहीं सकते और न ही समझ सकते हैं । आसिफ़ भी उनमें से एक था शांत और शर्मिला साल लड़का। वह देखता है कि टीचर कुछ छात्रों को डांट रहा है तो कुछ की पिटाई कर रहा है। जब वह देखता है तो उसे अपना बचपन याद आ जाता है मैं हमेशा टीचरों से डांट खाता था जब भी मैं कोई काम करता तो मुझसे कुछ गलतियां हो जाती। उनमें से कई काम मैंने पहली बार किया होता है टीचर मुझे सही और गलत सिखाने की कोशिश करते।पर मैंने जितने काम सही किए हैं उससे कहीं ज्यादा गलतियां की है ,मैं उनकी बातें सुनता।
             वर्तमान में जीना इतना आसान नहीं है जितना हम समझते हैं अगर हम अकेले हैं तो यह और भी मुश्किल हो जाता है।समय हर व्यक्ति को मिला है इसलिए इसके विजेता केवल अकेला व्यक्ति नहीं है हर व्यक्ति विजेता है अपने समय के साथ। वह अपने आसपास के लोगों को देखता है और सोचता है शायद ही इनमें से कोई आजाद है। हम डरते हैं अपनी आजादी से ,कि कहीं वो हमारा जिंदगी अस्त-व्यस्त ना कर दे, हम कहीं अपने को, दोस्तों को खो ना दें कहीं हम अकेले ना हो जाए। हर व्यक्ति डरा हुआ है और आप उनकी आंखों से इसे देख सकते हैं ,हो सकता है कि कई इसे छिपाने की कोशिश करेंगे ,तो कोई आपको यह भी कह देगा कि वह डरा हुआ नहीं है क्योंकि उसके पास सब कुछ है, मुझे किसी चीज और किस बात का डर ,पर असल में वे डरे हुए होते हैं।
        आसिफ़ यह सब सोचते हुए रास्ते पर जा रहा है उसकी आंखें नम है और मन में गहरा दुख भी कि उसके साथी ने  उसे बिना कुछ कहे छोड़ दिया।आखिर क्यों दिलचस्प लोग हमारा साथ छोड़ ही देते हैं? उसने अभी अभी जाना की कुछ चीजें बिना बताए आती है जिसका हमें अंदाजा ही नहीं होता,और उस चीज का सामना करने का साहस भी हमारे पास नहीं होता। वह देखता है कि सूरज डूब रहा है ,बकरी चराने वाले बकरियों को वापस ला रहे हैं, कुछ लोग अपना काम पूरा करके वापस लौट रहे हैं ,बच्चे रास्ते में खेल रहे हैं जिन्हें किसी से कोई मतलब नहीं, पर उनकी आंखों में चमक है जो किसी प्रोढ़ या बुजुर्ग लोगों की आंखों में देखने को नहीं मिलता है ,कुछ लोग अपने दोस्तों के साथ मिलकर बात कर रहे हैं ,तो कुछ लोग टहलने निकले हैं ताकि काम के तनाव को कम कम किया जा सके ,या फिर उन्हें लगता है कि वे  ज्यादा दिन तक स्वस्थ रहेंगे ।कुछ थके हुए नजर आ रहे हैं जो आराम चाहते हैं वह सोचता है कि क्या इन्होंने ने भी वही महसूस किया जो अभी मैं महसूस कर रहा हूं क्या इन्हें भी पता है कि दुनिया की सबसे खतरनाक वस्तु क्या है ?क्या इन्होंने कभी इसका सामना किया है ?आसिफ को लगा जिंदगी उसे अनजान जगह ले जा रही है जिस जगह का सामना उसने कभी ना किया था। सूरज पूरी तरह से डूब गया था कुछ देर बाद चांद अपनी रोशनी धरती पर फैला रही थी। आसमान से तारे नजर आ रहे थे। जो सदियों से वही है । आसिफ़ वहां थोड़ी देर तक और ठहरा वह आसमान को कई घंटों तक देखता रहा ।फिर उठा और घर की ओर चलने लगा ।उसे बहुत सारे झिंगुरो की आवाज सुनाई दे रहे थे जो उसे परेशान कर रहा था बाद में यही आवाज उसे अच्छे लगने लगे ।कोई तो है जो रात में काम करता है ।मैं घर पहुंचता हूं, ठंडा हुआ खाना खाता हूं फिर बिस्तर पर पहुंच जाता हूं सोने की कोशिश करता हूं पर सो नहीं पाता हूं धीरे-धीरे मेरी सोच पर वो चीज कब्जा करने लगती है जिसे मैं नहीं जानता ।न चाहते हुए भी मैं वह चीज सोचने लगता हूं ।फिर कब मेरी नींद पड़ गई मुझे पता ही नहीं चलता ।उठता हूं तो पाता हूं किसी दूर जगह से सूरज उग रहा है ,पक्षियों की आवाज जो मेरे समझ से परे हैं फिर भी मैं उसे अपने कानों में आने देता हूं, ठंडी हवा के झोंके को महसूस करता हूं फिर थोड़ी देर के लिए खुद में खो जाता हूं ,घर से बाहर  निकलता हूं तो देखता हूं कि आगे में भीड़ लग रही थी उस भीड़ से आवाज आ रही थी पर साफ सुनाई नहीं दे रहा था जब मैं उस भीड़ के  पास पहुंचा तो देखता हूं कि दो पड़ोसी एक दूसरे से झगड़ा कर रहे हैं , मैं उस भीड़ से आगे निकल गया अब मुझे कोई आवाज सुनाई नहीं दे रहा है ।
               जो मेरे संपर्क में है मेरे भविष्य के बारे में सोच रहे हैं पर मैं कुछ और ही सोच रहा हूं 'अपने सपनों को पीछा करने की'। यह निर्णय लेना मेरे लिए आसान नहीं था पर फिर भी निर्णय तो लेना था। मुझे कुछ चीजों की कुर्बानी देनी पड़ी ,फिर भी सोचता हूं कि कहीं मैंने कोई गलती तो नहीं कर दी जिसका खामियाजा मुझे बाद में भुगतना पड़े ।उसे याद आता है कि किसी किताब में उसने पढ़ा था कि " जिस चीज को आप पूरी दिल से चाहते हैं तो उसे पाने में पूरा ब्रह्मांड आपकी मदद करता है"।
                  मैं एक ऐसी स्थिति में हूं जिसमें लोग सोचने पर मजबूर हो जाते हैं ,खुद को अकेला पाते हैं ।सवालों के जवाब खोजते हैं और जवाब न मिल पाने के कारण खुद को गम की दरिया में डूब जाने देते हैं ।ऐसा लगता है जैसे वक्त बहुत धीरे-धीरे बीत रहा है कुछ दिन बिताए पल, कई महीनों जैसे प्रतीत होते हैं।
                 हम सभी रंगीन सपने देखते हुए भी यथार्थ की जीवन जीते हैं, मैं एक ऐसी दुनिया देख रहा हूं जिसमें सब अदृश्य है और मुझे लगता है कि मुझे इसे समझने में काफी वक्त लगेगा । मैं तो अभी शुरुआत की दहलीज पर हूं। मैं एक ऐसे रास्ते में  जा रहा हूं जहां मुझे नहीं पता कि आगे क्या होगा ।फिर भी मुझे चलने तो है इसी उम्मीद में मैं चला जा रहा हूं।
                 मेरे पास इतने पैसे भी नहीं है जिससे मैं कहीं दूर बहुत दूर जा सकूं जहां मुझे कोई पहचानता न हो ।मैं लोगों को देखता हूं और खुद से पूछता हूं क्या ये वाकई में खुश है? पर उनकी आंखों से खुशी देखने को नहीं मिलती ।वे रोज काम पर जाते हैं और आते हैं कभी-कभी मैं खुद से पूछ बैठता हूं कि वे रोज सीखते क्या  है ?कहीं मैंने पढ़ा है कि खुशी आसान चीजों में छिपी हुई होती है।
              जितना मैं खुद को समझने की कोशिश करता  उतना ही मैं हूं उलझता जाता। कभी कुछ चीजें अचानक हो जाती है कहीं हमें अपना प्यार कहीं मिल जाता है जिसका हमें कोई अंदाजा ही नहीं रहता ।हम कितने खुश नजर आते हैं जब हमारा छोटा सा सपना पूरा हो जाता है और यही सपना पूरा न हो तो पूरा दिन पहाड़ से लगता है ।कई घंटो तक मैं सोच में डूबा रहता हूं , अपने ही विचारों से खेलता हूं और कल्पना करने लगता हूं।
              अचानक बारिश होने लगती है और मैं उस बारिश में भीगने लगता हूं बारिश की बूंदों को महसूस करता हूं मुझे इस बात का कोई डर नहीं की मुझे  सर्द पकड़ लेगी और मैं बीमार हो जाऊंगा ,मैं उस पल को अपनी आंखों में कैद करने लगता हूं, बूंदे ठंडी है फिर भी मजेदार है ,मैं कई घंटों तक बारिश में भीगता हूं मैं देखता हूं लोग बारिश में भीगने से बचने की कोशिश कर रहे हैं ,वे शायद सोच रहे हैं कि बारिश कब थमे और वे अपने घर जा सके, और वही सिलसिला शुरू हो जाएगा जो कई दिनों से चलता आ रहा है ,मैं भीगते हुए  आगे निकल जाता हूं मुझे इस बात की अब  कोई चिंता नहीं की बारिश कब थमे। कुछ देर बाद बारिश थम जाती हैं और लोग अपने घर की ओर जल्दी से जाने लगते हैं कि कहीं बारिश दोबारा शुरू ना हो जाए।
               शाम होने लगती है और मैं घर की तरफ लौटने लगता हूं, मेंढ़क  की आवाज सुनाई दे रही है, लगता है जैसे वे इस  बारिश से खुश हैं और जश्न में डूबे हैं ।इन पर मैंने कभी गौर ही नहीं किया था क्योंकि मैं हमेशा जल्दी में रहता था और बारिश से बचने की कोशिश करता था ।मैं घर पहुंचता हूं और खिड़की से आए पानी को साफ करता हूं, हर चीज को व्यवस्थित रखने की कोशिश करता हूं ।अपने कपड़े बदलता हूं। देर रात को खाना खाता हूं।
                   अपने बिस्तर पर पहुंच जाता हूं हर रोज की तरह फिर मैं सोचने लगता हूं ,मैं मजे की तलाश में रहता हूं पर ऐसा मेरे साथ कभी कभार होता है।
                 सुबह में जल्दी उठता हूं ,कुछ काम निपटाता आता हूं (मैं यह दिखावा करता हूं कि मैं कुछ काम कर रहा हूं पर सच कहूं तो मेरे पास कोई काम नहीं रहता) मैं सुबह का नाश्ता करता हूं (खाने की इच्छा नहीं होती फिर भी) ताकि कुछ समय तक मुझे ऊर्जा मिलती रहे ।मैं कुछ और काम की तलाश करता हूं पर मुझे और कोई काम नहीं मिलता और मैं घर के बाहर निकल जाता हूं , सुनहरी धूप है ,हर चीज स्पष्ट नजर आ रहा है शायद पिछली बारिश का नतीजा है ,जिनके पास कोई काम नहीं है वे खाली बैठे हैं, कुछ लोग कल की बारिश के बारे में बात कर रहे हैं कुछ लोग रोज की तरह अपने काम में जा रहे हैं जिनके पास काम नहीं वे काम की तलाश कर रहे हैं जिनके पास काम है वे छुट्टी का इंतजार कर रहे हैं ।
                 क्या हम  सभी अपने काम में इतने व्यस्त हैं कि हम कभी सोच ही नहीं पाते कि हम यहां क्यों हैं ?क्या काम करना ही हमारी जिंदगी का मकसद है (जिस काम को हम बिल्कुल भी पसंद नहीं करते) या फिर कुछ और ।जो हमें सोचने पर मजबूर करती है फिर भी हम नहीं सोचते।

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