हम छोटी- छोटी खुशियां मनाते हैं और इससे हम अपनी दुनिया बनाते हैं, क्या सदियों से दुनिया ऐसी चलती आ रही है?कभी- कभी हम किसी चीज से डर कर अपना रास्ता मोड़ लेते हैं हमें पता ही नहीं होता कि वह रास्ता कहां जाएगा, हम आगे जाते रहते हैं और हम वह चीज ढूंढ लेते हैं जो चीज हमने पहले कभी नहीं ढूंढा था ऐसा मेरे साथ भी हुआ, मैंने वो चीज देखा जो मैंने पहले कभी नहीं देखा था,मैंने कुछ सवाल लोगों से पूछा जो मेरे मन में चल रहा था और जवाब मेरे सामने हाजिर था। हमें थोड़ा सा साहस करके पूछना भर होता है और जवाब भी मिल जाता है, जवाब देने वालों की आंखों में कुछ देर के लिए चमक आ जाती है, क्योंकि उन्हें लगता है कि जो चीज उन्होंने सीखा है वह किसी काम के नहीं, वैसे भी मैं बोर हो रहे होते हैं क्योंकि उनके पास करने को कुछ और नहीं होता।
मैं सोचता हूं रास्ता काफी लंबा हो, ऐसे लोगों से मिलूं जिनके बारे में मैं हमेशा सोचता था (पर ऐसा कभी होता नहीं था) वह काम करूं जिसे करने की मेरी हमेशा से चाहत रहती थी (पर कभी कर नहीं पाता था) मेरे साथ कोई रहे (जिस पर मैं भरोसा करता हूं) जिससे मैं सवाल कर सकूं और हो सके तो उसके जवाब पा सकूं,वह चीज सीख सकूं जिसे मैंने नहीं सीखा है पर सीखना बेहद जरूरी है वरना इसके बिना मैं अपनी दुनिया को अच्छी तरह से समझ न पाऊंगा।
एक जगह थोड़ी देर तक मैं रुकता हूं, महसूस करता हूं प्यास से मेरा गला सूख गया है,प्यास बुझाने के लिए मैं फिर चलने लगता हूं मैं अपने सामने एक नदी पाता हूं, और जल्दी से अपनी प्यास बुझाता हूं। मैं देखता हूं कि एक पक्षी आसमान में एक ही जगह पर उड़ रही है और तेजी से पानी में जाती है और बाहर आती है देखता हूं कि अब उसकी चोंच में एक मछली है दोनों की अपनी - अपनी दुनिया हैं एक सोचता होगा कि ये पानी में कैसे सांस ले रहे हैं और दूसरा ये कि यह आसमान में कैसे उड़ ले रहे हैं कभी दोनों की दुनिया कुछ पल के लिए टकरा जाती फिर भी दोनों के अपने-अपने सवाल थे और उनके जवाब भी।
वह जगह छोड़कर मैं आगे बढ़ने लगता हूं,सामने खुला आकाश है घिरे हुए पहाड़ हैं पहाड़ों के ऊपर जाने के लिए कई छोटे रास्ते हैं जिसे किसी ने इसकी शुरुआत की फिर धीरे-धीरे बाकी लोग भी उस रास्ते का इस्तेमाल करने लगे।
कुछ लोग वक्त को रोकना चाहते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि अगर वक्त ना रुके तो उनकी जिंदगी बिल्कुल बदल जाएगी।जिन्हें अपने पे गर्व था खूबसूरत होने का क्योंकि यही तो एक चीज है जिस पर वे गर्व कर सकती हैं ।खूबसूरत होने से वाकई जिंदगी कितनी बदल जाती है।
थोड़ी देर के लिए हम खुश हो जाते हैं जब हमें वह चीज मिल जाता है जो हम पाना चाहते रहते हैं,पर ऐसा हमेशा नहीं होता जब हमें कोई चीज नहीं मिलती जो हम चाहते रहते हैं तो हम उदास हो जाते हैं, वह काम करने लगते हैं जो हम नहीं चाहते। इससे तो अच्छा है कि हम कोई चीज ही चाहे ना(हम वो चीज खोज ही न पाएंगे जो हम खोजना चाहते हैं ,हमारे सवाल वहीं के वहीं रह जाएंगे)
कभी-कभी तो मुझे पता ही नहीं चलता कि मैं क्या महसूस कर रहा हूं? ना तो मैं दुखी न ही मैं खुश हूं, सूरज डूबने लगा है मैं फिर वापसी की ओर मुड़ता हूं कुछ देर के लिए सूरज को डूबते होते देखता हूं, पक्षियों को लौटते हुए देखता हूं, न जाने वह खुश है या दुखी या फिर दोनों नहीं।
कभी - कभी हम वह देख लेते हैं जिस पर हमें यकीन नहीं होता फिर उस दिन से हम उस चीज पर यकीन करने लगते हैं जिस पर हमें यकीन नहीं होता हमें सच पता लगता है और उस दिन से हम सच जानने की कोशिश में लगे रहते हैं।
आसमान में अब तारे नजर आ रहे हैं,लोग अपने काम में इतने व्यस्त हैं कि उन्हें फुर्सत ही नहीं कुछ देखने को जो उनकी समझ में नहीं आती।
मैं कभी-कभी इतना परेशान हो जाता हूं कि कुछ सोच ही नहीं पाता, मैं लगातार कई घंटों तक खुद की कल्पना में डूबा रहता हूं,फिर मुझे पता चलता है कि जिस चीज की मैं तलाश कर रहा हूं वो अभी तक मेरे पास नहीं है और मुझे उस चीज के पाने के रास्ते भी नहीं मालूम,कितना मुश्किल होता है जिस चीज को आप चाहते हैं और उसे पाने के रास्ते आपको मालूम न हो, ना कोई उम्मीद ना कोई आशा सिर्फ एक भरोसा उस चीज को पाने का। जो चीज हम देखना चाहते हैं वह कभी दिखता ही नहीं और जो चीज हम देखना नहीं चाहते हैं वह हमें हमेशा दिखता है।
मैं देखता हूं कुछ चीजें लोगों को बहुत आसानी से मिल जाती है, जिस चीज को पाने के लिए हमें बहुत कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, क्या इन्हें कुछ अलग तरीका आता है या यह सब सिर्फ माहौल का असर है। लोग कल और आज की बातें कर रहे हैं पर वे हमेशा जिस चीज की बातें करना चाहते थे वे कभी नहीं करते,उस अनजान चीज के बारे में तो बिल्कुल भी नहीं जिसे वे जानते न थे जिसने उनकी जिंदगी पर गहरा प्रभाव छोड़ा था।
तब तक मैं अपने घर के बहुत नजदीक पहुंच गया। रात का खाना खाया और फिर मै अपने बिस्तर पे पहुंच गया। मैं अपनी खिड़की से देखता हूं चारों तरफ अंधेरा है ,डर के दृश्य मेरे मन में कौंध जाते हैं मुझे अलग महसूस होता है जब मैं दिन में खिड़की के पास होता हूं और खिड़की के बाहर देखता हूं और रात में खिड़की के बाहर देखता हूं। मैं रात में वह देखने की कोशिश करता हूं जो मुझे नहीं दिखता है और मैं दिन में वह न देखने की कोशिश करता हूं जो मुझे दिखता है।
मै सुबह उठता हूं, कुछ काम निपटाता हूं और फिर दुनिया को देखने निकल जाता हूं मेरे आस-पास के लोग जिन्हें मैं जानता हूं और बहुतों को मैं चेहरे से पहचानता हूं क्योंकि मैं उनके नाम नहीं जानता, कहते हैं कि मेरे पास कोई काम नहीं है बस मैं ऐसे ही घूमता रहता हूं (कई बार मुझे भी ऐसा लगने लगता है )दूसरी तरफ मैं यह जानकर खुश होता हूं कि मेरे पास बहुत सा वक्त है सोचने का, समझने का ,और किसी चीज को खोजने का।
हो सकता है वह मेरे आजादी से मन ही मन इष्या करते हो या फिर मै एक ऐसे गलत रास्ते पर जा रहा हूं जहां से मिल
निकलना नामुमकिन हो और वे मुझे शब्दों के माध्यम से समझा रहे हो कि तुम गलत रास्ते पर हो अभी भी वक्त हे हमारी तरह तुम भी इस भीड़ में शामिल हो जाओ और कुछ काम करो ताकि इस दुनिया को एक बेहतर दुनिया बना सके, मैं सोचता हूं क्या मैं काम नहीं कर रहा हूं? (शारीरिक तौर पर नहीं पर मानसिक रुप से हां)अगर मैं उनमें शामिल हो गया तो मैं कभी वह नहीं कर पाऊंगा जो मैं सोच रहा हूं या जिसे मैंने करने का सोचा है ,यह सब सिर्फ एक कल्पना रह जाएगी और मै बुढ़ापे में खुद को को कोंसुगा मैं वह क्यों नहीं किया जिसका मैंने हमेशा से सपना देखा था मैं उन रास्तों पर चलूंगा जिसे मैंने नहीं बल्कि दूसरों ने मेरे लिए चुना होगा ,मैं मन ही मन दुखी रहूंगा और लोगों के सामने खुश होने का दिखावा करूंगा या फिर मैं अपनी खोज में निकल जाऊं लोगों की बातों की परवाह किए बगैर की एक दिन तो मुझे ये सब सुनना ही था ताकि मैं अपने चुने हुए रास्ते पर चल संकू।मेरे शामिल हो जाने से क्या ये दुनिया बेहतर बन जाएगी या फिर वो काम जिसे मै करना नहीं चाहता करने से दुनियां बेहतर बन जाएगी? या फिर इस दुनिया को जो चीज बेहतर बनाती है उसके बारे में हम भूल गए है?
जब कभी मैं अपना संदेश किसी के पास पहुंचाना चाहता हूं और वह संदेश किसी ऐसे व्यक्ति को मिल जाती हैं जिसे मैं नहीं पहुंचाना चाहता था, और उस संदेश का गलत इस्तेमाल करता है यह जाने बगैर कि उस संदेश के पीछे की कहानी क्या है जिसे केवल वही जानता है जिसने संदेश लिखा है या फिर वह जिसके पास संदेश पहुंचना था ,वो व्यक्ति हम दोनों से संपर्क नहीं करता है(या फिर हम दोनों में से एक खामोश रहते हैं) और वो तीसरी व्यक्ति की मदद लेता है और वो उसे संदेश बताता है,जिसको बताता है वो किसी और को बताता है इस तरह वो संदेश फैल जाता है हम अपना ध्यान ' क्या ' पे ही लगाए रहते है और ' क्यों ' को भूल जाते हैं।और हम इतिहास को भूल जाते हैं और न ही हम इसे जानने का जोखिम उठाते हैं।
मैं खुद पे काबू रखने की कोशिश कर रहा हूं, मैं खुद को झेलने की कोशिश कर रहा हूं, मेरे तमाम कोशिशों के बावजूद खुद को अकेला पाता हूं।मै जिसके करीब होना चाहता हूं वो मुझसे दूर चला जाता है और मैं जिससे दूर होना चाहता हूं उसे मै अपने करीब पाता हूं। हमारा खास लगाव होता है उन लोगों के साथ जो हमारी ही उम्र के हैं।
मैंने किताब में कहीं पढ़ा जिसमें लिखा था ' 10000 किताबें पढ़ने से बेहतर हैं 10000 मील की यात्रा करना ' ।मैं उसी के बारे में सोच रहा था क्या यह वाकई में सच है या फिर किसी ने यूं ही इसे लिख दिया है, मैं भी सोच रहा था कि सिर्फ किताबें पढ़कर दुनिया को समझा नहीं जा सकता ,यात्रा अहम रोल अदा करता है दुनिया को समझने का चाहे वह हमारे आस पास ही की जगह ही क्यों न हो, जिसमें हम रहते हैं ,या फिर मैं खुद को समझूं ,पर खुद को समझना मुझे इतना आसान नहीं लगता ।इसलिए मैं हमेशा यह काम टाल देता हूं ,मैं लोगों और बाहरी चीजों पर ध्यान देने लगता हूं (या फिर जिसे मैं नहीं समझता )गौर से देखता हूं कि वे क्या कर रहे हैं, बहुत से लोग पैसे के लिए काम करते दिख रहे हैं ,कुछ लोग यूं ही बैठे कुछ सोच रहे हैं (जिन्हें मैं नहीं समझ पा रहा हूं ) क्योंकि बहुत से लोगो की उम्र मुझसे ज्यादा है अगर उनकी उम्र मेरे ही उतनी या मेरे से कम होती तो समझने में आसानी होती ,कुछ काम में जा रहे हैं और वे जल्दी में हैं, मेरी ही उम्र के कुछ लड़कियां हैं नजरें तो मिलती हैं पर उनके आंखों को देखकर उनके विचारों को पढ़ना मेरे लिए आसान नहीं है, मुझे लगता है बिना बात किए उन्हें समझना आसान नहीं ,पर उन्हें मैं नहीं जानता हूं और मुझे वे नहीं जानते हैं ,हम दोनों में से एक बात करना चाहता हैं पर नहीं करते हैं कारण केवल इतना है कि हम उसे नहीं जानते हैं ,कुछ पल के लिए सोचता हूं क्या होता अगर हर कोई हर किसी से बात कर सकता ,कोई भी किसी से कुछ भी सवाल पूछ सकता (चाहे वह सवाल हमें अटपटा ही क्यों ना लगे )हम पुराने समय में चले जाते जहां पर व्यक्ति हर किसी से बात कर सकता था आदिमानव के काल के समय । हो सकता है उस समय उन्होंने भाषा विकसित न कि हो, फिर भी उन्हें नजरों से बात करने की आजादी थी ।
मेरे कदमों की रफ्तार धीरे हैं, मैं आसानी से चीजों को देखता हूं जो मेरे सामने हैं ,मैं खुद अपने कदमों की आवाज सुन सकता हूं मैं अपने विचारों को पढ़ सकता हूं जो कह रहा है तुम गलत रास्ते पर हो या सही रास्ते पर । पर यह पूरी तरह से नहीं कहते कि तुम गलत रास्ते पर जा रहे हो या फिर सही रास्ते पर जा रहे हो।ये मुझे सोचने का मौका देते हैं। आसिफ किसी चीज की तलाश कर रहा था पर जब भी वो उस जगह जाता जहां उसे पाने की आशा थी हर बार उस जगह का माहौल बदल जाता था ।
ऐसा लगता है जैसे मै केवल सांस ले रहा हूं और छोड़ रहा हूं इसके सिवा कुछ भी नहीं कर रहा हूं ,सिखाई गई चीजें भूलता जा रहा हूं ,क्योंकि वे मेरे कुछ काम ही नहीं आ रहा है, और मेरे दिनचर्या से बाहर होते जा रहा है ,अब मैं नई आदतें अपना रहा हूं हो सकता है भविष्य में यह मेरे लिए मुश्किलें खड़ी कर दे।
मेरे पास कुछ तो है जो मुझे बदल रहा है मेरे सोच को पूरी तरह से कब्जा करने की कोशिश कर रहा है, मैं जानकर भी उस चीज से अनजान बनने की कोशिश कर रहा हूं ।मै खुद को पूरी तरह से खो चुका हूं फिर से मैं खुद को पाना चाहता हूं, मैं अपनी आंखों में वो चमक देखना चाहता हूं जो चमक बचपन में मेरी आंखों में था ,मुझे उन चीजों को फिर से सीखना होगा जिसे मैं बढ़ती उम्र के साथ भूल गया हूं । मैं खुद को समुद्र के बीच तैरता पाता हूं मुझे नहीं पता कि मैं कहां जा रहा हूं,मैं किसी तट पर पहुंचना चाहता हूं पर मुझे नहीं पता कि किस दिशा में मैं जाऊं,इसलिए मैं तैरता हूं इस आशा में कि कहीं मैं डूब ना जाऊं, मैं खुद को बहुत छोटा पाता हूं इस समुद्र के बीच, फिर भी उम्मीद और आशा बनाए रखता हूं कि तट पर पहुंच जाऊं,क्योंकि इसके सिवा मेरे पास और कोई चारा नहीं है अगर मैं उम्मीद और आशा छोड़ दूं और तैरना बंद कर दूं तो मैं डूब जाऊंगा।
मैं पेड़ों की पत्तियों को गिरते हुए देखता हूं, जिसमें से कुछ पत्तियों को कीट ने अपना भोजन बना लिया है, मैं अपने इतिहास और अनुभव दोनों को भूलने की कोशिश करता हूं, मैं हर चीज भूलना चाहता हूं जो मैंने सीखा है,पहले मैं खुश था जब इन चीजों के बारे में मैं कुछ नहीं जानता था जब से मैं इन चीजों को ज्यादा से ज्यादा जानने की कोशिश की है उतना ही मैं खुद को मैं दुखी पाता हूं। किसी चीज में हमें तब तक मजा आता है जब तक कि वो चीज रहस्य बना रहे,जिस दिन रहस्य उजागर हो जाता है उस दिन से हमें उस चीज से मजा आना बंद हो जाता है।
हम अपनी जिंदगी में भी रहस्यों से भरा खेल खेलते हैं, हम लोगों की आंखों को पढ़ने की कोशिश करते हैं जो रहस्यों को छुपाए बैठा है। मैं उस चेहरे को भुलाने की कोशिश करता हूं, जिसकी वजह से मैं अपने सपनों को पूरा करने में लगा हूं।
मैं रास्ते में पड़ी चीजों को देखता हूं, लोगों को आते - जाते देखता हूं, पक्षियों को उड़ते हुए देखता हूं, खुद को समझने की कोशिश करता हूं,अपनी इतिहास में फिर से नजर डालता हूं खुद को कुरेदता हूं, दुखी होता हूं और खुश भी होता हूं, मैं तेज धूप की गर्मी को सहन करता ,शरीर से निकलते पसीना को महसूस करता हूं, जो हो रहा है उसे होने देता हूं,जानता हूं इन सबके मुझे इतना फर्क नहीं पड़ेगा जितना की उन घटनाओं से हुआ है जिसे मैं चाहता था कि वे ना हो,और इन सब ने मुझ पर इतना गहरा असर थोड़ा है कि मेरी जिंदगी ही बदल गई है पर कभी सोचता हूं उन घटनाओं से मेरे जीवन से क्या संबंध। या फिर मैंने अंधविश्वास पाल लिया है और इस भ्रम में हूं की घटनाओं ने मेरे जिंदगी को बदल दिया या फिर मैंने खुद को बदल लिया है। मैं दिनभर वही काम करता हूं जो करता आ रहा था और अकेलेपन महसूस करता हूं और उसे झेलता हूं।सुबह होते ही शाम का इंतजार करता हूं,शाम होते ही रात का इंतजार करता हूं और रात होते ही सुबह होने का इंतजार करता हूं। तीन ऐसे गुजर रहा है जैसे कुछ हो ही ना रहा हो, कुछ बदल ही ना रहा हो, सब वहीं के वहीं हैं, वही काम कर रहे हैं, एक ही रास्ते में आते - जाते हैं, एक ही बात को हर दिन दोहराते हैं, एक ही विचार लेकर उठते हैं जो बाकी दिनों जैसा है, लोगों को दिखाने के लिए ना जाने क्यों बनावटी मुस्कान बनाते हैं जबकि असल में वे खुश है ही नहीं, रास्ते में चल रहा हर व्यक्ति दुखी नजर आता है, सभ्यता के साथ जरूर कुछ गड़बड़ हुआ होगा जिनका असर सभी लोगों पर पड़ रहा है, लोग खुली आंखों से देख रहे हैं और उसे समझने की कोशिश कर रहे हैं,कुछ लोग खुद को बुद्धिमान दिखाने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें लगता है कि उनकी जिंदगी पर उनका पूर्ण नियंत्रण है, मेरी तरह कुछ लोगों को पता ही नहीं चलता कि हो क्या रहा है, क्या दुनिया पहले भी ऐसा था जो आज हम सभी महसूस कर रहे हैं।
मैं सोचता हूं रास्ता काफी लंबा हो, ऐसे लोगों से मिलूं जिनके बारे में मैं हमेशा सोचता था (पर ऐसा कभी होता नहीं था) वह काम करूं जिसे करने की मेरी हमेशा से चाहत रहती थी (पर कभी कर नहीं पाता था) मेरे साथ कोई रहे (जिस पर मैं भरोसा करता हूं) जिससे मैं सवाल कर सकूं और हो सके तो उसके जवाब पा सकूं,वह चीज सीख सकूं जिसे मैंने नहीं सीखा है पर सीखना बेहद जरूरी है वरना इसके बिना मैं अपनी दुनिया को अच्छी तरह से समझ न पाऊंगा।
एक जगह थोड़ी देर तक मैं रुकता हूं, महसूस करता हूं प्यास से मेरा गला सूख गया है,प्यास बुझाने के लिए मैं फिर चलने लगता हूं मैं अपने सामने एक नदी पाता हूं, और जल्दी से अपनी प्यास बुझाता हूं। मैं देखता हूं कि एक पक्षी आसमान में एक ही जगह पर उड़ रही है और तेजी से पानी में जाती है और बाहर आती है देखता हूं कि अब उसकी चोंच में एक मछली है दोनों की अपनी - अपनी दुनिया हैं एक सोचता होगा कि ये पानी में कैसे सांस ले रहे हैं और दूसरा ये कि यह आसमान में कैसे उड़ ले रहे हैं कभी दोनों की दुनिया कुछ पल के लिए टकरा जाती फिर भी दोनों के अपने-अपने सवाल थे और उनके जवाब भी।
वह जगह छोड़कर मैं आगे बढ़ने लगता हूं,सामने खुला आकाश है घिरे हुए पहाड़ हैं पहाड़ों के ऊपर जाने के लिए कई छोटे रास्ते हैं जिसे किसी ने इसकी शुरुआत की फिर धीरे-धीरे बाकी लोग भी उस रास्ते का इस्तेमाल करने लगे।
कुछ लोग वक्त को रोकना चाहते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि अगर वक्त ना रुके तो उनकी जिंदगी बिल्कुल बदल जाएगी।जिन्हें अपने पे गर्व था खूबसूरत होने का क्योंकि यही तो एक चीज है जिस पर वे गर्व कर सकती हैं ।खूबसूरत होने से वाकई जिंदगी कितनी बदल जाती है।
थोड़ी देर के लिए हम खुश हो जाते हैं जब हमें वह चीज मिल जाता है जो हम पाना चाहते रहते हैं,पर ऐसा हमेशा नहीं होता जब हमें कोई चीज नहीं मिलती जो हम चाहते रहते हैं तो हम उदास हो जाते हैं, वह काम करने लगते हैं जो हम नहीं चाहते। इससे तो अच्छा है कि हम कोई चीज ही चाहे ना(हम वो चीज खोज ही न पाएंगे जो हम खोजना चाहते हैं ,हमारे सवाल वहीं के वहीं रह जाएंगे)
कभी-कभी तो मुझे पता ही नहीं चलता कि मैं क्या महसूस कर रहा हूं? ना तो मैं दुखी न ही मैं खुश हूं, सूरज डूबने लगा है मैं फिर वापसी की ओर मुड़ता हूं कुछ देर के लिए सूरज को डूबते होते देखता हूं, पक्षियों को लौटते हुए देखता हूं, न जाने वह खुश है या दुखी या फिर दोनों नहीं।
कभी - कभी हम वह देख लेते हैं जिस पर हमें यकीन नहीं होता फिर उस दिन से हम उस चीज पर यकीन करने लगते हैं जिस पर हमें यकीन नहीं होता हमें सच पता लगता है और उस दिन से हम सच जानने की कोशिश में लगे रहते हैं।
आसमान में अब तारे नजर आ रहे हैं,लोग अपने काम में इतने व्यस्त हैं कि उन्हें फुर्सत ही नहीं कुछ देखने को जो उनकी समझ में नहीं आती।
मैं कभी-कभी इतना परेशान हो जाता हूं कि कुछ सोच ही नहीं पाता, मैं लगातार कई घंटों तक खुद की कल्पना में डूबा रहता हूं,फिर मुझे पता चलता है कि जिस चीज की मैं तलाश कर रहा हूं वो अभी तक मेरे पास नहीं है और मुझे उस चीज के पाने के रास्ते भी नहीं मालूम,कितना मुश्किल होता है जिस चीज को आप चाहते हैं और उसे पाने के रास्ते आपको मालूम न हो, ना कोई उम्मीद ना कोई आशा सिर्फ एक भरोसा उस चीज को पाने का। जो चीज हम देखना चाहते हैं वह कभी दिखता ही नहीं और जो चीज हम देखना नहीं चाहते हैं वह हमें हमेशा दिखता है।
मैं देखता हूं कुछ चीजें लोगों को बहुत आसानी से मिल जाती है, जिस चीज को पाने के लिए हमें बहुत कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, क्या इन्हें कुछ अलग तरीका आता है या यह सब सिर्फ माहौल का असर है। लोग कल और आज की बातें कर रहे हैं पर वे हमेशा जिस चीज की बातें करना चाहते थे वे कभी नहीं करते,उस अनजान चीज के बारे में तो बिल्कुल भी नहीं जिसे वे जानते न थे जिसने उनकी जिंदगी पर गहरा प्रभाव छोड़ा था।
तब तक मैं अपने घर के बहुत नजदीक पहुंच गया। रात का खाना खाया और फिर मै अपने बिस्तर पे पहुंच गया। मैं अपनी खिड़की से देखता हूं चारों तरफ अंधेरा है ,डर के दृश्य मेरे मन में कौंध जाते हैं मुझे अलग महसूस होता है जब मैं दिन में खिड़की के पास होता हूं और खिड़की के बाहर देखता हूं और रात में खिड़की के बाहर देखता हूं। मैं रात में वह देखने की कोशिश करता हूं जो मुझे नहीं दिखता है और मैं दिन में वह न देखने की कोशिश करता हूं जो मुझे दिखता है।
मै सुबह उठता हूं, कुछ काम निपटाता हूं और फिर दुनिया को देखने निकल जाता हूं मेरे आस-पास के लोग जिन्हें मैं जानता हूं और बहुतों को मैं चेहरे से पहचानता हूं क्योंकि मैं उनके नाम नहीं जानता, कहते हैं कि मेरे पास कोई काम नहीं है बस मैं ऐसे ही घूमता रहता हूं (कई बार मुझे भी ऐसा लगने लगता है )दूसरी तरफ मैं यह जानकर खुश होता हूं कि मेरे पास बहुत सा वक्त है सोचने का, समझने का ,और किसी चीज को खोजने का।
हो सकता है वह मेरे आजादी से मन ही मन इष्या करते हो या फिर मै एक ऐसे गलत रास्ते पर जा रहा हूं जहां से मिल
निकलना नामुमकिन हो और वे मुझे शब्दों के माध्यम से समझा रहे हो कि तुम गलत रास्ते पर हो अभी भी वक्त हे हमारी तरह तुम भी इस भीड़ में शामिल हो जाओ और कुछ काम करो ताकि इस दुनिया को एक बेहतर दुनिया बना सके, मैं सोचता हूं क्या मैं काम नहीं कर रहा हूं? (शारीरिक तौर पर नहीं पर मानसिक रुप से हां)अगर मैं उनमें शामिल हो गया तो मैं कभी वह नहीं कर पाऊंगा जो मैं सोच रहा हूं या जिसे मैंने करने का सोचा है ,यह सब सिर्फ एक कल्पना रह जाएगी और मै बुढ़ापे में खुद को को कोंसुगा मैं वह क्यों नहीं किया जिसका मैंने हमेशा से सपना देखा था मैं उन रास्तों पर चलूंगा जिसे मैंने नहीं बल्कि दूसरों ने मेरे लिए चुना होगा ,मैं मन ही मन दुखी रहूंगा और लोगों के सामने खुश होने का दिखावा करूंगा या फिर मैं अपनी खोज में निकल जाऊं लोगों की बातों की परवाह किए बगैर की एक दिन तो मुझे ये सब सुनना ही था ताकि मैं अपने चुने हुए रास्ते पर चल संकू।मेरे शामिल हो जाने से क्या ये दुनिया बेहतर बन जाएगी या फिर वो काम जिसे मै करना नहीं चाहता करने से दुनियां बेहतर बन जाएगी? या फिर इस दुनिया को जो चीज बेहतर बनाती है उसके बारे में हम भूल गए है?
जब कभी मैं अपना संदेश किसी के पास पहुंचाना चाहता हूं और वह संदेश किसी ऐसे व्यक्ति को मिल जाती हैं जिसे मैं नहीं पहुंचाना चाहता था, और उस संदेश का गलत इस्तेमाल करता है यह जाने बगैर कि उस संदेश के पीछे की कहानी क्या है जिसे केवल वही जानता है जिसने संदेश लिखा है या फिर वह जिसके पास संदेश पहुंचना था ,वो व्यक्ति हम दोनों से संपर्क नहीं करता है(या फिर हम दोनों में से एक खामोश रहते हैं) और वो तीसरी व्यक्ति की मदद लेता है और वो उसे संदेश बताता है,जिसको बताता है वो किसी और को बताता है इस तरह वो संदेश फैल जाता है हम अपना ध्यान ' क्या ' पे ही लगाए रहते है और ' क्यों ' को भूल जाते हैं।और हम इतिहास को भूल जाते हैं और न ही हम इसे जानने का जोखिम उठाते हैं।
मैं खुद पे काबू रखने की कोशिश कर रहा हूं, मैं खुद को झेलने की कोशिश कर रहा हूं, मेरे तमाम कोशिशों के बावजूद खुद को अकेला पाता हूं।मै जिसके करीब होना चाहता हूं वो मुझसे दूर चला जाता है और मैं जिससे दूर होना चाहता हूं उसे मै अपने करीब पाता हूं। हमारा खास लगाव होता है उन लोगों के साथ जो हमारी ही उम्र के हैं।
मैंने किताब में कहीं पढ़ा जिसमें लिखा था ' 10000 किताबें पढ़ने से बेहतर हैं 10000 मील की यात्रा करना ' ।मैं उसी के बारे में सोच रहा था क्या यह वाकई में सच है या फिर किसी ने यूं ही इसे लिख दिया है, मैं भी सोच रहा था कि सिर्फ किताबें पढ़कर दुनिया को समझा नहीं जा सकता ,यात्रा अहम रोल अदा करता है दुनिया को समझने का चाहे वह हमारे आस पास ही की जगह ही क्यों न हो, जिसमें हम रहते हैं ,या फिर मैं खुद को समझूं ,पर खुद को समझना मुझे इतना आसान नहीं लगता ।इसलिए मैं हमेशा यह काम टाल देता हूं ,मैं लोगों और बाहरी चीजों पर ध्यान देने लगता हूं (या फिर जिसे मैं नहीं समझता )गौर से देखता हूं कि वे क्या कर रहे हैं, बहुत से लोग पैसे के लिए काम करते दिख रहे हैं ,कुछ लोग यूं ही बैठे कुछ सोच रहे हैं (जिन्हें मैं नहीं समझ पा रहा हूं ) क्योंकि बहुत से लोगो की उम्र मुझसे ज्यादा है अगर उनकी उम्र मेरे ही उतनी या मेरे से कम होती तो समझने में आसानी होती ,कुछ काम में जा रहे हैं और वे जल्दी में हैं, मेरी ही उम्र के कुछ लड़कियां हैं नजरें तो मिलती हैं पर उनके आंखों को देखकर उनके विचारों को पढ़ना मेरे लिए आसान नहीं है, मुझे लगता है बिना बात किए उन्हें समझना आसान नहीं ,पर उन्हें मैं नहीं जानता हूं और मुझे वे नहीं जानते हैं ,हम दोनों में से एक बात करना चाहता हैं पर नहीं करते हैं कारण केवल इतना है कि हम उसे नहीं जानते हैं ,कुछ पल के लिए सोचता हूं क्या होता अगर हर कोई हर किसी से बात कर सकता ,कोई भी किसी से कुछ भी सवाल पूछ सकता (चाहे वह सवाल हमें अटपटा ही क्यों ना लगे )हम पुराने समय में चले जाते जहां पर व्यक्ति हर किसी से बात कर सकता था आदिमानव के काल के समय । हो सकता है उस समय उन्होंने भाषा विकसित न कि हो, फिर भी उन्हें नजरों से बात करने की आजादी थी ।
मेरे कदमों की रफ्तार धीरे हैं, मैं आसानी से चीजों को देखता हूं जो मेरे सामने हैं ,मैं खुद अपने कदमों की आवाज सुन सकता हूं मैं अपने विचारों को पढ़ सकता हूं जो कह रहा है तुम गलत रास्ते पर हो या सही रास्ते पर । पर यह पूरी तरह से नहीं कहते कि तुम गलत रास्ते पर जा रहे हो या फिर सही रास्ते पर जा रहे हो।ये मुझे सोचने का मौका देते हैं। आसिफ किसी चीज की तलाश कर रहा था पर जब भी वो उस जगह जाता जहां उसे पाने की आशा थी हर बार उस जगह का माहौल बदल जाता था ।
ऐसा लगता है जैसे मै केवल सांस ले रहा हूं और छोड़ रहा हूं इसके सिवा कुछ भी नहीं कर रहा हूं ,सिखाई गई चीजें भूलता जा रहा हूं ,क्योंकि वे मेरे कुछ काम ही नहीं आ रहा है, और मेरे दिनचर्या से बाहर होते जा रहा है ,अब मैं नई आदतें अपना रहा हूं हो सकता है भविष्य में यह मेरे लिए मुश्किलें खड़ी कर दे।
मेरे पास कुछ तो है जो मुझे बदल रहा है मेरे सोच को पूरी तरह से कब्जा करने की कोशिश कर रहा है, मैं जानकर भी उस चीज से अनजान बनने की कोशिश कर रहा हूं ।मै खुद को पूरी तरह से खो चुका हूं फिर से मैं खुद को पाना चाहता हूं, मैं अपनी आंखों में वो चमक देखना चाहता हूं जो चमक बचपन में मेरी आंखों में था ,मुझे उन चीजों को फिर से सीखना होगा जिसे मैं बढ़ती उम्र के साथ भूल गया हूं । मैं खुद को समुद्र के बीच तैरता पाता हूं मुझे नहीं पता कि मैं कहां जा रहा हूं,मैं किसी तट पर पहुंचना चाहता हूं पर मुझे नहीं पता कि किस दिशा में मैं जाऊं,इसलिए मैं तैरता हूं इस आशा में कि कहीं मैं डूब ना जाऊं, मैं खुद को बहुत छोटा पाता हूं इस समुद्र के बीच, फिर भी उम्मीद और आशा बनाए रखता हूं कि तट पर पहुंच जाऊं,क्योंकि इसके सिवा मेरे पास और कोई चारा नहीं है अगर मैं उम्मीद और आशा छोड़ दूं और तैरना बंद कर दूं तो मैं डूब जाऊंगा।
मैं पेड़ों की पत्तियों को गिरते हुए देखता हूं, जिसमें से कुछ पत्तियों को कीट ने अपना भोजन बना लिया है, मैं अपने इतिहास और अनुभव दोनों को भूलने की कोशिश करता हूं, मैं हर चीज भूलना चाहता हूं जो मैंने सीखा है,पहले मैं खुश था जब इन चीजों के बारे में मैं कुछ नहीं जानता था जब से मैं इन चीजों को ज्यादा से ज्यादा जानने की कोशिश की है उतना ही मैं खुद को मैं दुखी पाता हूं। किसी चीज में हमें तब तक मजा आता है जब तक कि वो चीज रहस्य बना रहे,जिस दिन रहस्य उजागर हो जाता है उस दिन से हमें उस चीज से मजा आना बंद हो जाता है।
हम अपनी जिंदगी में भी रहस्यों से भरा खेल खेलते हैं, हम लोगों की आंखों को पढ़ने की कोशिश करते हैं जो रहस्यों को छुपाए बैठा है। मैं उस चेहरे को भुलाने की कोशिश करता हूं, जिसकी वजह से मैं अपने सपनों को पूरा करने में लगा हूं।
मैं रास्ते में पड़ी चीजों को देखता हूं, लोगों को आते - जाते देखता हूं, पक्षियों को उड़ते हुए देखता हूं, खुद को समझने की कोशिश करता हूं,अपनी इतिहास में फिर से नजर डालता हूं खुद को कुरेदता हूं, दुखी होता हूं और खुश भी होता हूं, मैं तेज धूप की गर्मी को सहन करता ,शरीर से निकलते पसीना को महसूस करता हूं, जो हो रहा है उसे होने देता हूं,जानता हूं इन सबके मुझे इतना फर्क नहीं पड़ेगा जितना की उन घटनाओं से हुआ है जिसे मैं चाहता था कि वे ना हो,और इन सब ने मुझ पर इतना गहरा असर थोड़ा है कि मेरी जिंदगी ही बदल गई है पर कभी सोचता हूं उन घटनाओं से मेरे जीवन से क्या संबंध। या फिर मैंने अंधविश्वास पाल लिया है और इस भ्रम में हूं की घटनाओं ने मेरे जिंदगी को बदल दिया या फिर मैंने खुद को बदल लिया है। मैं दिनभर वही काम करता हूं जो करता आ रहा था और अकेलेपन महसूस करता हूं और उसे झेलता हूं।सुबह होते ही शाम का इंतजार करता हूं,शाम होते ही रात का इंतजार करता हूं और रात होते ही सुबह होने का इंतजार करता हूं। तीन ऐसे गुजर रहा है जैसे कुछ हो ही ना रहा हो, कुछ बदल ही ना रहा हो, सब वहीं के वहीं हैं, वही काम कर रहे हैं, एक ही रास्ते में आते - जाते हैं, एक ही बात को हर दिन दोहराते हैं, एक ही विचार लेकर उठते हैं जो बाकी दिनों जैसा है, लोगों को दिखाने के लिए ना जाने क्यों बनावटी मुस्कान बनाते हैं जबकि असल में वे खुश है ही नहीं, रास्ते में चल रहा हर व्यक्ति दुखी नजर आता है, सभ्यता के साथ जरूर कुछ गड़बड़ हुआ होगा जिनका असर सभी लोगों पर पड़ रहा है, लोग खुली आंखों से देख रहे हैं और उसे समझने की कोशिश कर रहे हैं,कुछ लोग खुद को बुद्धिमान दिखाने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें लगता है कि उनकी जिंदगी पर उनका पूर्ण नियंत्रण है, मेरी तरह कुछ लोगों को पता ही नहीं चलता कि हो क्या रहा है, क्या दुनिया पहले भी ऐसा था जो आज हम सभी महसूस कर रहे हैं।
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