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Day 2 ( Observing)

जब कोई किसी का इंतजार करता है तो कुछ लोग अपनी निगाहें जमीन में गड़ाय रखते हैं तो कुछ लोग आसपास से गुजरने वालों को देखते है।मुझे नहीं मालूम की आखिर मै ऐसा क्यों करता हूं ये उस हवा के झोंके जैसा है जिस से पौधे कुछ अंश तक झुक जाते हैंऔर हवा के गुजरने के बाद फिर अपनी जगह पर आ जाते हैं।
              रास्ते में चलते हुए उसे खंभा नजर आता है जिस का ऊपरी हिस्सा किसी चीज से सटा हुआ था। खंभा सिलेंडर के आकार में था। खंभे के आधे भाग में सूर्य का प्रकाश था और ठीक आधे भाग में छांव था। प्रकाश और छांव के मेल से खंभे पर दो लकीर बन रही थी ।और उसकी एक लकीर पर चीटियां खंभे के ऊपर  चढ़ रही थी ।और कुछ चीटियां नीचे उतर रही थी ।ऊपर जाने वाले चीटियों की संख्या ज्यादा थी जबकि नीचे उतरने वाले चीटियों की संख्या कम। उन चीटियों के आधे भाग में प्रकाश था और आधे भाग में छांव।
                    एक जगह मैंने देखा कि कुछ लोग अंदर जा रहे थे और कुछ लोग बाहर निकल रहे थे। मैं कुछ देर तक वहीं खड़ा रहा मैंने रास्ते में जाते हुए एक आदमी से पूछा वहां क्या हो रहा है जिसमें कुछ लोग अंदर जाते हैं और कुछ बाहर निकलते हैं ।उस आदमी ने मुझे गौर से देखा फिर कहा - वहां एक मंदिर है और वो वहां से चला गया ।बचपन में मैंने पुस्तकों में पढ़ा था पर मैंने कभी मंदिर नहीं देखा था ।मैंने वहां प्रवेश किया जहां से लोग अंदर जा रहे थे ।मैंने लोगों को हाथ जोड़ते हुए देखा और आंखें बंद।
               मैंने समझने की कोशिश की पर मैं कुछ समझ न सका ।कभी आसमान के तारे अचंभित करते हैं तो कभी कुछ और। हर व्यक्ति के पास अपनी एक कहानी है ।कभी वो कहानी किसी को सुनाता है तो कभी दूसरों की कहानी सुनता है।
              हमने उन सभी चीजों को पाने की कोशिश की जिन्हें हम पाना चाहते थे 'कोशिश और गलत' की तरह ।हर चीज हमें  एक कहानी सुनाता है ।
           शाम हो चुका था अब मैंने सोने का निर्णय लिया।

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