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वह सोचता है कि उसे यही तक आना है क्योंकि परिस्थितियों ने उसे वही तक लाया , वह सोचता है परिस्थितियां  , आसिफ अपने आप से पूछता है वह जो भी कर रहा है क्या वो सही है, कुदरत के नियम और परिस्थितियों ने उसे वही तक और वही काम करने दिया संपर्क जो उसने बनाए थे कोई काम नहीं आया, वह सोच रहा है  लोग काम को चुनते है या  काम लोगों को चुनता है , लोग पैसे को चुनाव करते है या पैसा लोगों का चुनाव करता है , काम जिसके बदले में पैसे मिलते हो ,वह सोचता है संपर्क अच्छे होने चाहिए जो काम आ सके , संपर्क क्या बात है 
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गुरु घासीदास

घासीदास ने कम उम्र में ही जाति व्यवस्था की बुराइयों का अनुभव किया, जिससे उन्हें जाति-ग्रस्त समाज में सामाजिक गतिशीलता को समझने और सामाजिक असमानता को अस्वीकार करने में मदद मिली। समाधान खोजने के लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ में व्यापक रूप से यात्रा की।